Zomato और Swiggy पर गिरेगी गाज! 10-Minute डिलीवरी के खिलाफ CCI में शिकायती हल्ला

NRAI Accuses Swiggy and Zomato: स्विगी और जोमैटो पर मंडरा रहा खतरा! नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) ने 10 मिनट फूड डिलीवरी को लेकर इन कंपनियों पर नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया है। अब ये मामला कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) तक पहुंच सकता है, जिससे स्विगी और जोमैटो के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

zomato and swiggy

नई दिल्ली: नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) जोमैटो (Zomato) और स्विगी (Swiggy) द्वारा पेश किए गए 10 मिनट फूड डिलीवरी ऐप्स के खिलाफ कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) में शिकायत दर्ज कर सकता है। एसोसिएशन फूड डिलीवरी कंपनियों के खिलाफ कानूनी कदम उठाने पर गंभीरता से विचार कर रहा है, जैसा कि NRAI के अध्यक्ष सागर दरियानी ने इकॉनमिक टाइम्स को बताया।

जोमैटो की कंपनी Blinkit ने हाल ही में Bistro और स्विगी ने Snacc नाम से स्टैंडअलोन ऐप्स लॉन्च किए हैं, जो 10 मिनट में खाना डिलीवर करने का दावा करते हैं। NRAI का आरोप है कि ये कंपनियां इस सर्विस के लिए प्राइवेट लेबल का इस्तेमाल कर रही हैं, जिससे उनके रेस्टोरेंट पार्टनर्स को चिंता हो रही है। इसका मतलब है कि ये 10 मिनट वाले ऐप्स उन रेस्टोरेंट्स की पहचान छिपा रहे हैं, जहां से ये फूड आइटम्स ले रहे हैं।

नियमों का उल्लंघन करने का आरोप

Wow Momo रेस्टोरेंट चेन के को-फाउंडर और सीईओ दारियानी ने कहा कि दो फूड डिलीवरी दिग्गजों का अपने स्वयं के क्विक कॉमर्स प्लेटफार्म के माध्यम से प्राइवेट लेबल का खाना डिलीवर करना बाजार के मूल सिद्धांतों का स्पष्ट उल्लंघन है। दरियानी ने यह भी कहा कि हम बिलकुल भी सहमत नहीं हैं कि जोमैटो और स्विगी निजी लेबलिंग करके खुद ही खाना बेच रहे हैं।

उन्होंने कहा कि जोमैटो और स्विगी अपने नेटवर्क डेटा का इस्तेमाल कर निजी लेबल वाले भोजन वितरण में सीधे या अपनी सहायक कंपनियों के माध्यम से प्रवेश कर रही हैं। दरियानी ने यह भी स्पष्ट किया कि वे 10 मिनट ऐप की सुविधा के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि उनका मानना है कि इन कंपनियों को रेस्टोरेंट्स के साथ मिलकर काम करना चाहिए।

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क्वालिटी पर भी उठ रहे हैं सवाल

इन कंपनियों की 10 मिनट में खाना डिलीवरी को लेकर पहले भी कई सवाल उठ चुके हैं, जिनमें सबसे बड़ा सवाल गुणवत्ता का है। ऑर्थोपेडिक सर्जन और न्यूट्रीबाइट वेलनेस के को-फाउंडर डॉ. मनन वोरा ने लिंक्डइन पर लिखा था, ’10 मिनट में खाना डिलीवर करने के लिए उसे 3 मिनट या उससे कम समय में पकाना होगा। यह केवल अल्ट्रा-प्रोसेस्ड, रेडी-टू-ईट खाने के जरिए ही संभव है। ऐसा खाना पहले से पका, फ्रोजन, माइक्रोवेव किया हुआ और फिर डिलीवर किया जाता है, जो कैंसर के खतरे को 12% तक बढ़ा सकता है।

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बॉम्बे शेविंग कंपनी के सीईओ शांतनु देशपांडे ने भी फास्ट फूड पर बढ़ती निर्भरता को लेकर चिंता जताई और इसे ‘सबसे बड़ी महामारी’ करार दिया। उन्होंने सवाल उठाया कि जो खाना घर पर बनाने में घंटे भर से ज्यादा समय लगता है, वह 10 मिनट में डिलीवर कैसे हो सकता है? उन्होंने कहा कि ऐसी सेवाएं सिर्फ खाना जल्दी पहुंचाने पर ध्यान देती हैं, लेकिन उसकी गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया जाता।

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